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प्रेम पात्र

प्रेम पात्र के संग कभी किसी रिश्ते में नहीं बंधना चाहा मैं, बांधता भी तो कैसे, रिश्तों में प्रेम और प्रेम पात्र दोनों ही सीमा में बंध जाते हैं किसी रिश्ते के नाम से। प्रेम तो अनाम है जिसकी केवल अनुभूति हो सकती है सुकोमल हृदय की असीम गहराइयों से।
प्रेम पात्र के संग अनन्त दूरी तक चलते रहने की ख्वाहिश थी,अनापेक्षित,महत्वकांक्षाविहीन होकर।
#ख्वाहिश सिर्फ उनके दिल पर दस्तक देने की थी।
#कोरा ख्वाब

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