Sidebar Ads

Header Ads

ओलंपिक के इतिहास में वंदना कटारिया ने रचा इतिहास, गोल हैट्रिक करने वाली बनी पहली भारतीय महिला खिलाड़ी

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया ने इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाया है।

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए मुकाबले में भारत की ओर से वंदना कटारिया ने सर्वाधिक तीन गोल करके ना सिर्फ भारत की झोली में जीत डाली बल्कि, ओलम्पिक के इतिहास में भारत की तरफ से गोल हैट्रिक करने वाली पहली खिलाड़ी भी बन गई।
बेहद रोमांचक मैच में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 4-3  से हरा दिया। भारत के सभी महिला खिलाड़ियों ने मैदान मवन बेहतर खेल का प्रदर्शन किया।

मेरठ की वंदना कटारिया ने मात्र 12 साल की उम्र में घर छोड़कर हॉकी को अपना जीवन बना लिया। आज वह किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उनसे प्रेरणा लेकर एनएएस कॉलेज के मैदान में करीब 50 बेटियां हॉकी का प्रशिक्षण ले रही हैं। इनमें से कई नेशनल स्तर तक पहुंच चुकी हैं। भारतीय महिला हॉकी टीम की बेहतरीन फॉरवर्ड ओलंपिक में कुछ कर गुजरने का सपना लेकर टोक्यो गई हैं।
एनएएस कॉलेज के कोच प्रदीप चिन्योटी 18 साल पहले उत्तराखंड गए थे। वहां रोशनाबाद की बेटी वंदना को उन्होंने हॉकी खेलते देखा तो उसे मेरठ ले आए। शुरुआती प्रशिक्षण के सालों में अपनी लगन और मेहनत से वंदना ने खुद को साबित किया।

कोच प्रदीप चिन्योटी ने बताया कि वंदना को वह 2003 में मेरठ लेकर आए थे। 3 साल बाद लखनऊ केडी सिंह बाबू स्टेडियसम छोड़कर आए। वंदना देखने में एकदम शांत स्वभाव की हैं। मैदान पर एकदम तेजतर्रार खिलाड़ी हैं। यही कारण है कि वो बेस्ट फॉरवर्ड खिलाड़ियों में शामिल हो चुकी हैं। मेरठ की शिवानी, ममता यादव, सोनम भारद्वाज वंदना कटारिया के खेल से प्रेरित होकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंची हैं। उन्होंने बताया कि कोच होने के नाते मुझे वंदना पर गर्व है।

वंदना की उपलब्धियां
-2013 में जूनियर वर्ल्डकप में कांस्य पदक 
-2014 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक
-2017 में एशियन कप में स्वर्ण पदक 
-2018 में एशियन गेम्स में रजत पदक 
-2016 में रियो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा रहीं
-2020 टोक्यो ओलंपिक में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मुकाबले में हैट्रिक करने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी बनी

महिला हॉकी को जिंदा रखने में निभाई भूमिका
महिला हॉकी को जिंदा रखने में वंदना ने अहम रोल अदा किया है। एनएएस का मैदान महिला हॉकी को संजीवनी दे रहा है। अपने पुरुष वर्ग में युवाओं को हॉकी के प्रति जागरूक कर रहे हैं। 
वंदना ना सिर्फ खुद के व्यक्तिगत उपलब्धियों को हासिल कर रही है बल्कि देश में महिला हॉकी  को एक अलग स्तर तक लेके जाएगी। भावी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ