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मानहानि क्या होती है? भारतीय दंड संहिता में मानहानि सबंधी कानून

मानहानि क्या होती है? भारतीय  दंड संहिता में मानहानि सबंधी कानून



मानहानि क्या है ? 

भारत में मानहानि एक सिविल दोष ( Civil Wrong ) और वाण्डिक अपराध ( Criminal Offence ) दोनों हो सकते हैं । इन दोनों के मध्य अंतर इनके द्वारा प्राप्त किये जाने वाले उद्देश्यों में अंतर्निहित है । 
■ सिविल दोष के अंतर्गत मुआवजे के माध्यम से किसी हानि की क्षतिपूर्ति की जाती है और कृत्य में सुधार का प्रयास किया जाता है , जबकि मानहानि के दाण्डिक मामलों में किसी गलत कृत्य के लिये अपराधी को दंडित कर दूसरे लोगों को ऐसा न करने के लिये संदेश देने की वकालत की जाती है । 
 

मानहानि संबंधी कानून 

■ भारतीय कानूनों में आपराधिक मानहानि को विशेष रूप से भारतीय दंड संहिता ( IPC ) की धारा 499 के तहत अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है , जबकि नागरिक मानहानि ' अपकृत्य कानून ' ( कानून का एक क्षेत्र जो गलतियों को परिभाषित करने के लिये अन्य कानूनों पर निर्भर नहीं होता है , लेकिन इसे गलत तरीके से परिभाषित करने वाले मामलों पर संज्ञान लेता है ) पर आधारित होता है ।

 ■ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के अनुसार , जो कोई भी बोले गए । या पढ़े जाने के आशय से शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृष्य रूपणों । द्वारा किसी व्यक्ति पर कोई लांछन लगाता या प्रकाशित करता है कि उस व्यक्ति की ख्याति को क्षति पहुँचे या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए ऐसे लांछन लगाता या प्रकाशित करता है । जिससे उस व्यक्ति की ख्याति को क्षति पहुँचे , तो तत्पश्चात् अपवादित दशाओं के सिवाय उसके द्वारा उस व्यक्ति की मानहानि करना कहलाएगा । 
अपवादः धारा 499 के अनुसार , सत्य बात का लांछन जिसका लगाया जाना या प्रकाशित किया जाना लोक कल्याण के लिये अपेक्षित है , किसी ऐसी बात का लांछन लगाना , जो किसी व्यक्ति के संबंध में सत्य हो , मानहानि नहीं है , यह बात लोक कल्याण के लिये है या नहीं यह तथ्य का प्रश्न है ।

 ■ दंड : भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के अंतर्गत आपराधिक मानहानि के लिये दो वर्ष तक का साधारण कारावास और जुर्माना या दोनों को एक साथ लगाने का भी प्रावधान किया गया है । 

वैधता : उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2014 के ' सुब्रह्मण्यम स्वामी बनाम भारत संघ ' मामले में आपराधिक मानहानि कानून की संवैधानिक वैध ता को बरकरार रखा ।

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