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महात्मा गांधी ने भगत सिंह को फांसी से क्यों नहीं बचाया! महात्मा गांधी ने भगत सिंह को फांसी से क्यों नहीं बचाया

महात्मा गांधी ने भगत सिंह को फांसी से नहीं बचाया क्योंकि इस विषय में महात्मा गांधी की कोई सीधी भूमिका नहीं थी। भगत सिंह की मौत का मामला अपने आप में एक विवादास्पद मुद्दा है और उसे एकल रूप से गांधी जी के निर्णय पर लाना उचित नहीं होगा।

हालांकि, गांधी जी को भगत सिंह की फांसी की सजा के विरोध में तेजी से विरोध हो रहा था। उन्हें भगत सिंह के प्रयासों और विचारधारा का समर्थन नहीं था, और वे उनके हिंसामय एवं आत्मघाती उद्देश्यों की प्रशंसा नहीं कर सकते थे। गांधी जी को शांति और अहिंसा के मार्ग को अपनाने का पक्ष था और उनका मानना था कि हिंसा से कोई निर्माण नहीं हो सकता।

इसके अलावा, भगत सिंह की फांसी 23 मार्च, 1931 को हुई थी, जब गांधी जी ब्रिटिश राज्यपाल लॉर्ड इरविन के साथ दिल्ली में वार्डा हाउस में बंद थे। वार्डा हाउस में वार्डीयों की व्यवस्था ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाती थी और गांधी जी की अधिकारिक या कानूनी अवधारणा नहीं थी। इसलिए, गांधी जी को सीधा प्रभाव डालने की क्षमता नहीं थी जिससे वह भगत सिंह को फांसी से बचा सकते थे।

आपको याद रखना चाहिए कि गांधी जी के साथी और अनुयाय उनके संगठन में सक्रिय रूप से कार्यरत थे और भगत सिंह के जैसे क्रांतिकारियों के प्रति उनका दृष्टिकोण अलग था। इसलिए, भगत सिंह की फांसी के मामले में महात्मा गांधी का कोई सीधा संबंध नहीं था।

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