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ग़मों का सौदागर

राही...ओ राही ठहरो... अरे तनिक ठहरो ना हां आपसे ही कह रहा हूं। सुनो! मुझे भी उधर ही जाना है कुछ दूर तलक गठरी उठाये हो.. क्या है इसमें बड़ी वजनदार लग रही क्या है इसमें तनहाइयाँ...उदासियाँ... अरे वाह! गमों के सौदागर लगते हो अरे! इतनी झल्लाहट क्यों है? मुस्कराओ राही! लाओ जरा देर तक मुझे देदो गठरी सुनो! गमों का व्यापार है मेरा गर तुम चाहो तो कुछ उदासियाँ, तनहाइयाँ खरीद लूंगा अरे वाह... तुम तो मुस्कराने लगे राही चलो चलो उस पेड़ के नीचे धूप भी काफी है कुछ देर बतियां ले सौदा भी कर लेंगे भाव...! बस ज्यादा तो नहीं दे पाऊंगा कुछ खुशियां है... पिछली यात्रा में ही बटोरी थी पथ भूला एक मुसाफिर था राह दिखा दी बड़ा खुश हो गया बस वो ले लो लाओ लाओ चाहो तो अपनी उदासियों और तन्हाइयों की पोटली ही देदो खुशियां चाहे सारी ही लेलो मिरी मैं तो व्यापारी हूँ😊 गम खरीदता हूँ...बस खुशियों के बदले

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