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मातृ दिवस 2021 शायरी, Mothers Day 2021 Shayri in hindi| Mothers Day shayri in Hindi

(1)अम्मा !
क्या कैसे क्यूँ
रचूँ तुम पर छंद !!
तुमने रचा
गढ़ा मुझको,
हूँ तुम्हारा ही निबन्ध !!






(2) एक क्षति है
बगैर माँ के जिंदा रहना,
एक त्रासदी है 
बगैर माँ के मुस्कुराना...


(3)जीवन के सबसे ख़ूबसूरत क्षण वे होते हैं- जो भाई-बहन के साथ बचकाने झगड़ों में बीतते हैं, 
जिसमें थर्ड अम्पायर केवल माँ ही हो सकती हैं।
 
तभी तो हर ऐसे झगड़े की शिकायत…
‘मम्मी देख लीजिए इसे’ से शुरू होती है!😊
#MothersDay 

(4)ज़मीन आसमान चाँद सूरज समंदर क्या क्या नहीं बनाया है 
यह दुनिया एक लोरी है जिसे ज़रूर किसी "माँ" ने गाया है 

(5)कदमों मे जिसके जन्नत है
बच्चों की सपना पूरा करना उसकी मन्नत है
खाना,सोना,पहना और बहुत कुछ बच्चों को आराम देने के लिए
खुद की फिक्र न करना उसकी फितरत है
बच्चो के सुख चैन के खातिर दुनिया से लड़ जाना ये उसकी मुहब्बत है
और बच्चो को हमेशा हसते देखना ही ये उसकी चाहत है 
#HappyMothersDay

(6)एक अक्षर का एक शब्द ये 
कैसे करें हम इसका गान 
सूरज चाँद सितारों से भी 
बढ़कर रहता जिसका मान

वन उपवन ये झरनें नदियाँ 
दे न पाते इतना सुख
एक पल में ही दे देती है 
माँ वो सुख जितना महान

(7)...

" बन के छोटी सी बच्ची माँ मैं हमेशा... तेरी गोद में सोऊंगी
हो जाऊं सबके लिए पर माँ तेरे लिए मैं कभी भी ,
बड़ी नही होऊंगी 

(8)शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए
किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था

(9)दुनिया जैसी है वैसी ही रहती, पर तेरे होने से ही तो मैं हूँ ना,
घूमूँ फिरू हजारों जगह पर, मेरी दुनिया तेरे आँचल में माँ|


(10)सर पर माँ का हाथ है ,क्या दूँ और सुबूत
मुझको लिए बगैर ही ,लौट गए यमदूत

#MothersDay

(11)वो कहती नहीं कभी 
पर ला दो तो मन से खायेगी 

माँ के पसंद की चीज़ें भी
माँ को याद दिलानी पड़ती है ❤️

(12)अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा 
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है...

#मुनव्वर_राना 
#मातृदिवस
#बज़्म_ए_शोअरा✍️ 

(13)धूप हुई तो आँचल बन कर कोने कोने छाई अम्माँ 
सारे घर का  शोर-शराबा  सूना-पन तन्हाई अम्माँ 

सारे रिश्ते  जेठ-दुपहरी  गर्म  हवा आतिश अंगारे 
झरना दरिया झील समुंदर भीनी सी पुरवाई अम्माँ 

#आलोक_श्रीवास्तव ☘️
#MothersDay #मां

(14)सज़दे में जो तेरे सर झुकाया
तो इसमें बुरा क्या है
मेरी ‘माँ’ ने ही मुझे सिखाया था 
कि सबमें ख़ुदा है......

(15)मां की सुकुमार गोद में अठखेलि करते हुए किसी लघु बालक को देखकर लगता है कि जब तक मां है, तब तक संसार सरस तथा जीवंत है!!

(16)विकराल लहरों के दरमियान शांत समंदर है माँ 
मेरे हर क़तरे हर कण के अंदर है माँ 
कुर्बानी का दूजा नाम है माँ 
हौसले की गहरी खान है माँ 
बहती पवन की धार है माँ 
मरुस्थल में पानी की बौछार है माँ
विपदाओं के बीच ख़ुशी का संसार है माँ 
त्याग की देवी ,पहला प्यार है माँ 

(17)हर समस्या का निदान है माँ 
एक ही जीवन में अनेकों दफ़ा मिलने वाला जीवनदान है माँ 
कभी ना समाप्त होने वाला बखान है माँ 
उस परम शून्य का ज्ञान है माँ 
जीवन का पहला शब्द है माँ 
एकमात्र सुखी एहसास वाला दर्द है माँ 
ज़िंदगी का अडिग स्तंभ है माँ 
हरपल भरने वाला दंभ है माँ 

(18)बाल सफेद दृष्टि कमजोर हो गई थी, 
हाथ में लाठी कमर टेड़ी हो रही थी...!
 स्कूल का दरवाजा नहीं देखा मगर, 
माथे पर चिन्ता की लकीरें पढ लेती थी.!!

वो कोई फरिश्ता नहीं मेरी माँ थी..

(19)छुपा लेती है आंचल में उतारती है मेरी नज़र

मेरे मसलों का क्या खूब माँ ने हल निकाला है।

(20)तुम जलती रहीं निरन्तर एक दीप की तरह
मेरे जीवन के अँधेरे मिटाने को
ख़ुद के भीतर से तो खत्म चुकी हूँ कब की
पर एक तुम ही हो जिसने अब तक बचा रखा है
मुझे अपनी मुट्ठियों में..!!


(21)रोशनी हो तुम परछाई बना मैं
सुगंध हो तुम पारिजात बना मैं

दृष्टी हो तुम नजारा बना मैं 
संबल हो तुम मत्स्य बना मैं 

धरणी हो तुम अंकुर बना मैं 
अक्षर हो तुम शब्द बना मैं 

रुह हो तुम काया बना मैं
जननी हो तुम अंश बना मैं 

अस्तित्व मेरा तुमसे हैं माँ 
बिन तुम्हारे कुछ भी नही मैं|




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