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कोरोना काल में हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी।

नमस्कार,
हम सब कोविड -19 के इस विकराल रूप की चपेट में आ गये हैं। इन सबके बीच आपके स्वस्थ  होने की कामना करता हूँ।
हम सब कोविड से घिरे हुए हैं, एक अजीब सी अनिश्चितता हमें बैचेन कर रही है। हमारा जीवन ठहर सा गया है, हम सब एक तरह से घरों में कैद है, अनगिनत सवाल हम सबके मन में उभर कर आ रहे हैं।
आखिर ये कोरोना कब जायेगा?
कब हमारा जीवन कोरोना से पहले की भांति सामान्य हो पायेगा?
कितने ही अनगिनत सवाल हम सब के जेहन में उभर रहे हैं।
किसी को खुद के सपने पूरे करने की चाह है, तो कोई सपनें देखने के लिए कोरोना के जाने का इंतजार कर रहा है।

कोई लजीज सुगंधित पांच सितारा होटलों का पकवान खाने को बेताब हो रहा है, तो किसी को चूल्हे की आग में पकी रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है।

किसी को इंतजार है कि लॉक डाउन खुलेगा औऱ वो बाजार से महंगे और ब्रांडेड कपड़े खरीदकर अपना कलेक्शन और बड़ा कर पायेगा।
तो कोई इस इंतजार में है कि बाजार के खुलते ही सबसे पहले वो एक सुई और धागा खरीदेगा और अपनी फट चुकी कमीज की बाजु को फिर से सी कर पहन पाएगा।

कोरोना की वजह से ना जाने कितने ही घरों में मातम फैल  गया है, ना जाने कितने ही लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है।
ना जाने कितने ही लोगों की आंख, खुली आँखों से पूरे होते ख्वाब देखने से ही पहले ही बंद हो गई।
हम सबका जीवन भी इतनी ही अनिश्चितता से भरा हुआ है।
हमारे जीवन की उतनी ही संभावना है, जितनी कि मौत की।
यह सच है कि एक दिन हम सबको मौत का सामना करना है, किन्तु उस मौत के डर से जीवन जीने की उम्मीद भी नहीं छोड़नी है।

मौत की उमर क्या है?
दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला आज कल की नहीं।

आज पूरी मानव सभ्यता विकट दौर से गुजर रही है।
लाखों लोगों की आजीविका छिन गई है।
कोई आने वाले कठिन दिनों के लिए राशन सामग्री इकट्ठी करने में कामयाब रहा है, तो कोई सड़क किनारे भूखे पेट सोने को मजबूर है।

अस्पतालों में पैर रखने की भी जगह नहीं हैं। चारों तरफ एक अलग ही उदासी छाई हुई है।

सुना है कि NASA नें मंगल ग्रह की सतह पर 10 ग्राम ऑक्सीजन का पता कर लिया है, किन्तु धरती पर उसी की कमी से हजारों लोगों की जानें जा रही है।

सोचा था लम्बे समय तक कुछ भी नहीं लिखूंगा, किंतु इस दौरान कुछ खबरों और तस्वीरों ने मुझे झकझोर दिया, तो सोचा और कुछ नहीं कर सकता किंतु सकारात्मक विचार तो साझा कर ही सकता हूँ।
क्या पता चारों तरफ फैली अजीब उदासी की गंध को थोड़ा बहुत मिटा कर जरा सी पाजिटिविटी की महक फैल जाये।

इस पाजिटिविटी को और अधिक फैलाने में आपकी मदद अपेक्षित है।
आप और हम मिलकर इस कोरोना से जरूर जीतेंगे।
इस जीत को सुनिश्चित करने के लिए हमें कुछ काम करने होंगे-
सबसे पहला काम कि हम सबको कोविड गाइडलाइंस का ईमानदारी से पालन करना है।
दूसरी बात यह कि अगर आप किसी की मदद करने में सक्षम है तो plz मानवता के लिए आगे आइए, जहां तक आपसे बन सके ऐसे लोगों की मदद कीजिये जो कोविड कि वजह से खुद का जीवन निर्वाह करने में अक्षम है।

हमारी कालाबाजारी, मूल्यवृद्धि कर कमायी गई अनैतिक धनराशि यहीं रह जानी है।
कमाने के लिए हमें और हजारों रास्ते और मौके मिलेंगे, किन्तु इन दिनों अपनी इंसानियत का परिचय दीजिए।
मनमाफिक पैसा मत हड़पिये। वो मजबूर है,  उखड़ती साँसों को पाने के लिए इंसान अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है।
परन्तु आप ऐसा मत कीजिये कि खुद को ही जवाब ना दे पाएं।
हो सकता है कल आपके पास अनाज, दवाइयां , कपड़े इत्यादि से भरे हुए गोदाम हो परन्तु खरीदने वाला कोई नहीं बचा तो क्या करोगे?
किसी की अगर कोरोना से जान जा रही है, तो हो सकता है हम किसी और कारण से मौत का शिकार बनेंगे, पर वो हमें अपना शिकार जरूर बनाएगी।
बस इतना खयाल रखना है कि उस मौत को सामने देखकर हम मुस्करा सकें, कह सकें खुद से कि हां  मैंने जीवन में कई उदास चेहरों पर मुस्कान दी है।
किसी भूखे के पेट को भर पाया हूँ।
किसी की उदास आंखों से झरते आंसुओं को पोंछा है।
जब मौत का सामना हो तो खुद से यह कह सकें-
"मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, कूच से क्यों डरूँ?"

इसलिए plz अपनी इंसानियत का परिचय दीजिए। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाइए।
और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि कोरोना से जुड़ी भ्रामक और अप्रमाणित बातों का whatsapp, facebook जैसे माध्यमों के जरिये प्रचार-प्रसार ना करें, उस अप्रमाणित जानकारी को सही मानकर कुछ अनजान लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।

आपने अपना कीमती समय निकाल कर यह आलेख पढ़ा और आपको लगता है कि यह उपयोगी है  और किसी के विचारों को सकारात्मकता दे सकता है, plzz इसे आगे साझा जरूर करें।

मास्क पहनिए, सामाजिक दूरी का खयाल रखिये।

#StayHome #StaySafe

जय हिंद🇮🇳जय भारत

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