सभी इस देश में लाचार क्यूँ है
श्मशानों में लगी क़तार क्यों है
अयोध्या में बनेगा जो तुमने कहा है
तीन-सौ-सत्तर भी अब नहीं रहा है
चिकित्सालय बनाकर हम क्या ही करते
तो फिर अब ये हाहाकार क्यों है
बहावो खून करके दंगे तत्पर
फैलाओ संक्रमण ;क्या रहना घर पर
लहू से लिप्त है सबकी हथेली ,
तो फिर ये रक्त की दरकार क्यों है।
है कोई माँ ,तो कोई बेटी खो रहा है,
चैन से कोई पक्षी भी न सो रहा है ।
धरम ही कर रहा जब रक्षा सबकी ,
प्रकृति का ये नरसंहार क्यों है है।
भले जन लेने को हर श्वास तड़पे ,
लगाना डुबकी तुम विश्वास भरके।
ना करना किंतु तुम जीवों की हत्या,
तुम्हारे दोगले संस्कार क्यों है।
चितायें जल रही दीवाली बनके,
कब्र में खुल रहे हैं रोज़े जन के।
है कोई धर्म जो यह बताये,
प्रलय यह छाई अपरम्पार क्यों है।
अगर बस राम के ही थे भरोसे,
तो फिर इस देश में सरकार क्यों है?
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