इश्क़ की अधलिखी न कहानी कहो
कुछ भी कह लो मगर न दिवानी कहो
माना हो गया था इश्क़ हमें भी कभी
चलो जाने भी दो बस नादानी कहो
उनके पहलू में हम ख़्वाब बुनने लगे
उनकी खामोशियों को भी सुनने लगे
दिल के मेहमान थे हम भी अंजान थे
कहते कहते अधूरी जो बात रह गयी
चलो जाने भी दो बस हादसा रूहानी कहो
मेरी दुनिया में आये वो बारिश की तरह
मेरा तन मन इश्क़ से तरबतर कर दिया
मेरी दुनिया से गये वो बारिश की तरह
जाते जाते मन मेरा ठिठुरन से भर दिया
चलो जाने भी दो बस मौसम की रवानी कहो
हाथ हाथों में ले कुछ इस अदा से कहा
बेवफ़ा तुम नहीं न इसमें मेरी कुछ ख़ता
पर ज़माने का भी कुछ ख़्याल हम करें
तुम यहाँ खुश रहो हम वहाँ खुश रहें
चलो जाने भी दो बस इश्क़ बेईमानी कहो
आँखों के समंदर को न छलकने दिया
होठों को सिल लिया न दिल धड़कने दिया
उनकी बेवफ़ाइयों को सीने से लगाकर
बड़े प्यार से हमने उनको रुख़सत किया
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