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चढ़ती उम्र के साथ

बुढ़ापे की तरफ 
जब राह हो जाती
अपनी औलाद ही
 जब आंखे दिखाती
तब पतियों को
बदलते देखा है
पत्नियों की कदर
करते देखा है

सारी दुनिया घूम लीं जब
कोई रिश्ता सगा ना दिखा
भाई बहन सब रुठ गएं
मां, बाप के हाथ छूट गएं
तब जीवनसाथी का हाथ
सड़क पे पकड़े देखा है

जवानी जब बीत गई
कमाने की इच्छा भी ना रही
भागने का जब दम ना बचा
घुटनों का दर्द जब बढ़ गया
तब पत्नी के घुटनों में
बाम लगातें देखा हैं

पार्क में जब 
किसी का दर्द सुन लिया
 साथी किसी का गुजर गया
उसकी आंख का आंसू देख 
घर आकर, जीवन साथी को
हिलते हाथों से
गजरा लगाते देखा है
चढ़ती उम्र के साथ
 प्यार को भी चढ़ते देखा है.......।

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