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ईश्वर

शारीरिक रूप से स्वयं को कष्ट पहुंचाने एवं सुविधाओं से वंछित रखने से अगर ईश्वर की प्राप्ति होती तो, निःसंदेह दिन भर कड़ी धूप में खुद को जलाने वाले मजदूर और गरीबी में जीवन यापन करने वाले आम जन ईश्वर को सर्वप्रथम एवं शीघ्रतिशीघ्र प्राप्य होते।

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