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झूठी शान...

शाम भर सोचता रहा कि दिनों बाद मैं किसी से आज लम्बी देर तक बात करूंगा। लास्ट बार मैंने किसी से फोन पर कब बात की थी। मुझे याद नहीं। हाँ एक दोस्त को किया था और उसने नहीं उठाया था। एक दोस्त का आया था भागते-दौड़ते याद नहीं जाने क्या बात की थी। और फिर मैं घंटों कॉन्टेक्ट लिस्ट देखता रहा। शाम में कोई बिस्तर से उठा ले गया। मैं उसकी बातें घंटों सुनता रहा। हम सब जीवन में क्या कमाते हैं? मुझे ये आज तक नहीं समझ आया।
वो सोचता है आपके जीवन में कितने बड़े-बड़े लोग हैं ये आपकी सफलता है। मैं शायद कोई दो साल बाद उसके साथ बैठा हूं। कुछ देर में ही उसके साथ से उकता गया मैं। लड़कियाँ, राजे-महाराजे, नेता ये सब आस-पास होना और उनके जैसा होना उसके लिए कितनी गर्व की बात है। मैं हर बार उसे टाल देता हूं कि किसी तरह वो मुझे घर छोड़ दे। मैं उसकी तरह कभी हो ही नहीं पाऊंगा। छोटी-छोटी बातों पर किसी को भी गाली देना, पीट देना, राह चलते लोगों के साथ बदसलूकियाँ कितनी आसानी से करते जाते हैं ये लोग। शायद दूसरों की तकलीफें उनकी कमाई है। आप अगर समझाते हैं तो बदल गये या पागल हो गए करार दे दिये जाते हैं।
मैं हमेशा सोचता हूं कि संवेदना कमाना और जब सबकुछ खत्म हो रहा हो उस वक्त कोई हो जिससे बात करते हुए सोचना ना पड़े ऐसे किसी का होना ही सबसे बड़ी कमाई है।
अभी फोन रखते हुए फिर से मैंने कॉन्टेक्ट लिस्ट देखी। सोचता हूं कि कितना असहाय हूं मैं।

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