Sidebar Ads

Header Ads

औरत का कोई चरित्र नहीं होता

औरत का कोई चरित्र नहीं होता, हमारे समाज में औरत का चरित्र गढ़ा जाता है. उसकी पोशाक से उसके देखने के अंदाज़ से उसकी मुस्काराहट से किसी से हँस कर बात करने से दुपट्टा सरक जाने से स्कर्ट में दिखती टांगों से साड़ी में दिखती नाभि से बालों की लेटो से यहीं तो कराते है पहचान औरत के चरित्र का, यहीं देखते है लोग. किसी को कहाँ दिखता है. भीतरी मन के कोने में छुपा उसका चरित्र उसके रंग, कोमल स्वभाव , चाहत का ठहराव, अटूट स्नेह , अथाह सहिष्णुता, निःस्वार्थ समर्पण, ये सब बेकार की बातें है औरत का चरित्र गढ़ा जाता है हमारे समाज में.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ