इक बोझ सीने पर
यूँ ही उठाए हुए
खाक इक कागज है
हम कश्ती बनाए हुए हैं
यार का घर टूटे
हमको इससे क्या
अपनी छत उड़ी तो
अश्क लाए हुए हैं
तकलीफ सबको होती
आंखें सबकी रोती है
चुप हूं तो सब ठीक न समझ
जख्म हम भी खाए हुए हैं
अब घायल करो या मार ही डालो
हम तेरे लिए खुदको बुत बनाए हुए हैं https://t.co/03hR7f9bcM
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