जब तलक जिंदा रहेगा आशियाँ दे जाएगा
कत्ल होगा पेड़ तो भी लकडियां दे जाएगा
उम्र भर देता रहेगा सांस अपनी सांस से
फिर तुम्हारे घर के चौखट खिड़कियां दे जाएगा
जब नदी के दो किनारे बाढ़ में बह जाएंगे
तब तुम्हें मंज़िल की खातिर कश्तियाँ दे जाएगा
जो न दे पाए उसे इक ज़िंदगी जीने का हक़
वो शज़र उनके लिए भी कुर्सियां दे जाएगा
आप हीरे खोजते रहना भले माटी तले
वो परिंदों के घरों को पत्तियां दे जाएगा
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